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Chaand Sanwala Hai
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एक बार पुनः आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ, सुधा मैम की ‘चाँद सांवला है’ पढ़ने के उपरांत अपने विचारों के प्राकट्य हेतु। मैं सुधा मैम को जितना पढ़ती जा रही हूँ, उतना ही उनकी लेखनी के सम्मोहन में बंधती जा रही हूँ। ‘चाँद सांवला है’ पढ़कर मुझे मुंशी प्रेमचंद जी की लेखनशैली का आभास हुआ, सुधा मैम की लेखनी में । ‘चाँद सांवला है’ 17 बेहतरीन कहानियों का संगम है। इसे लेखिका ने जगत के सबसे बड़े गुरु ‘समय’ को सादर समर्पित किया है। इसकी भूमिका लिखी है हिंदी के आदरणीय लेखक कमलेश्वर जी ने। कमलेश्वर जी ने सुधा मैम की कहानियों के संदर्भ में कहा है कि - “सुधा की कहानियाँ अपने परिवेश से अपनी जीवनगत और समयगत अभीप्साओं को उठाती हैं और वैचारिक निरंतरता का अव्यक्त सूत्र उनके नीचे चलता रहता है। सुधा की ये कहानियाँ इतनी सहज हैं - अपनी भाषा और कथ्य में, कि कुछ पता नहीं चलता कि ये क्यों लिखी गई हैं, पर जब इन्हें पढ़ने का मौका आता है तो ये ‘क्यों’ का उत्तर भी देती हैं और आपके दिल में उतरती चली जाती हैं।” ‘लेखकीय’ में सुधा मैम की गहन विचारशीलता का परिचय मिलता है। इस पुस्तक की भूमिका 1997 में सुधा मैम स्वर्गीय कथाकार, उपन्यासकार श्री कमलेश्वर जी से लिखवाने गई थीं। आप इसी से समझ सकते हैं कि ‘चाँद सांवला है’ क्या पार कर चुका है और इसे पढ़ने की आवश्यकता क्यूँ हैं। पहली कहानी का नाम है ‘चाँद सांवला है’। श्वेता का किरदार इसमें मुख्य है परंतु उससे भी मुख्य किरदार रहा सुबीन का। ज़िंदगी में शोहरत से अधिक छोटी-छोटी खुशियाँ कितनी मायने रखती हैं, आप इस कहानी को पढ़कर समझ सकते हैं। श्वेता का परिवर्तन और सुबीन का खो जाना कितनी बड़ी बात कहते हैं। परिवर्तन सुखद हो सकते हैं और जीने के लिए जरूरी भी। और वक्त को खोने से पहले उसे जी लीजिये। ‘भ्रम’ कहानी पढ़कर मुझे देवदत्त के लिए हृदय से दुःख हुआ। रिश्तों और प्रेम के भ्रम का रोचक और हृदय विदारक दृश्य प्रस्तुत किया है सुधा मैम ने। ‘पट्टे! राम-राम’ है का पंडित देवी चरण निहायत धूर्त और स्वार्थी किस्म का इंसान है। इस कहानी के अंत में समझ आता है कि कैसे स्वार्थ, धूर्तता, मक्कारी केवल स्वयं के लाभ-हानि का आंकलन करती है। बात अपनी पर आये तो ‘लकी-स्टोन’ की बलि भी दे देते हैं पंडित देवीचरण जैसे लोग। ‘कमली’ कहानी की कमली का किरदार समाज में स्त्रियों की स्थिति उजागर कर देता है।
Kaumudi ReaderA good read - Chand Sanwala is a well written by book by author Sudha Sikrawar based on society issues. She raised and well narrated important societal issues and family concerns in 17 short stories. Book is of 254 pages and all 17 chapters are amazing. Few chapters are my good reads pick like Moneyplant,Pankh and kamli.In these short stories , author tried to raise concerns and issues of society like dowry,status of women, and other social and domestic elements which is being neglected. By reading these readers will definitely get a feeling that how we are living with all these realities all around.
Anjali ReaderMust read book - लेखकों की याद आ जाती। मुझे लगता है कि असल में लेखिका ने उस स्तर को छुआ भी है।जब में इस किताब को पढ़ रहा था तो पहली ही कहानी चाँद सांवला है पढ़ कर लगा की लेखिका को इसे और लिखना चाहिए था।इस किताब की हर एक कहानी और किरदार कुछ ना कुछ सीख दे जाते है और खासकर 'पंख' मुझे लगता है। कि सबसे बेहतर कहानी है इसे पढ़ने के बाद में कुछ देर तक बस सोचता रहा की ये समाज और लोग कभी कभी कितना क्रूर हो जाता जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।बाकी और भी सारी कहानियों जैसे 'गर्म मुर्दा' और 'बड़े घर का आँगन' एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। लेखिका ने बहुत अच्छे सरल और तरीके से प्रस्तुत किया है।मुझे लगता है कि आप को ये किताब एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
Kindle Customer Reader
I was very fond of story reading and listening from my childhood. At the age of eight , i read first novel " NIRMLA", written by Munshi Premchand which has imbided deep in to my heart . And at the same time inspired by this , i wrote my first article named" A Woman With Dowry "which was published in newspaper and also received award at that time. The award has never inspired me instead i have been inspired to write about family movements , incidents and events happening in society . This is the content of my stories in " Chand Sanwla hei "